गुर्जर शेर सुंदर गुर्जर दुजाना
sunder gurjar dujana
70 और 80 के दशक में सुंदर का क्षेत्र में डंका बजता था। सभी लोग उनको अपना मसीहा मानते थे। सुंदर गुर्जर दुजाना सुपुत्र छज्जूराम जो की दुजाना दादरी उत्तर प्रदेश के रहने वाला था। पहले यह आर्मी मे थे। लेकिन पारिवारिक कलह और झगडों की वजह से इनको बागी बनने पर विवश होना पड़ा जिसके बाद लगातार 23 वर्षों तक आसपास के ईलाकों मे इनका दबदबा बना रहा।
गांव के बुजुर्गो का कहना है कि सेना की नौकरी छोड़कर जब सुंदर गांव आया तो उसका एक ही मिशन था कि यहां के स्कूल में व्याप्त भ्रष्टाचार खत्म हो। उस वक्त आए दिन स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें मिला करती थी। उसकी स्कूल प्रबंधन से ठन गई। उस भ्रष्टाचार को मिटाने की जिद में उसने कानून को ही हाथ में ले लिया। स्कूल की दीवार खून से रंग गई। वह हत्यारा बन बैठा और अपराध जगत से उसका गहरा नाता जुड़ गया।इसकी दबंगई के बारे मे यहां तक कहा जाता है की इन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक को मारने की धमकी दे डाली थी जिसके बाद दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की पुलिस को इनके पीछे लगा दिया इनको कई बार घेरा गया किंतु यह हर बार भारी गोलीबारी के बीच पुलिस को चकमा देकर निकल जाता था।
इसकी सूझबूझ और चालकी का एक किस्सा बहुत मशहूर है जब एक बार पुलिस ने इसको पकड़ने के लिऐ दुजाना गांव को चारों तरफ से घेर लिया तो सुंदर गुर्जर ने आत्मसमर्पण से पहले मंदिर मे पूजा करने की शर्त रखी जिसे पुलिस ने मान लिया ईधर पुलिस उनके पूजा खत्म होने का इंतजार करती रही वहां सुंदर गुर्जर हजारों पुलिसवालों की आंखों मे धूल झोंककर भाग गया।
रात के करीब 9:30 बजे थे।कांस्टेबल सुल्तान सिंह पूर्वी दिल्ली के वजीराबाद में नियमित रूप से एंटी- डकैती गश्ती पर थे।अचानक अँधेरे में कॉन्स्टेबल ने एक संदिग्ध दिखने वाले आदमी को देखा,जिसने एक शाल लपेटा हुआ था। सुल्तान सिंह ने उस आदमी से उसकी पहचान मांगी।
छः फुट लम्बे संदिग्ध ने कहा, "चिंता मत करो ! मैं एक सेना अधिकारी हूं"। सुल्तान सिंह नही माने। उन्होंने दोबारा पहचान पत्र की मांग की। इस पर उस आदमी ने अपना हाथ अपने शाल के नीचे ऐसे रखा जैसे कोई कार्ड निकाल रहा हो।लेकिन आदमी ने एक रिवाल्वर निकाला और सुल्तान सिंह के सीने में एक के बाद एक 5 गोलियां उतार दी। सुल्तान सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। गश्ती दल के एक सदस्य ने जवाबी गोलीं चलाई लेकिन अचानक से गली की रोशनी चली जाती हैं और वह आदमी अंधेरे की आड़ में गायब हो जाता हैं।
कुछ महीने पहले,सुंदर लगभग पकड़ा गया था लेकिन भाग्य ने उसका साथ दिया और वह वहां से बच निकला। एक मजबूत पुलिस टीम ने फरीदाबाद में एक बड़े बंगले में उसे घेर लिया था। सुंदर और उसके गिरोह और पुलिस पार्टी के बीच लड़ाई तब शुरू हुई जब उन्होंने भागने की कोशिश की। सुंदर के दो साथियों को गोली मार दी गई थी। फिर भी, किसी तरह, सुंदर पुलिस के जाल से बच निकला।
सुंदर की व्यक्तिगत कहानी उस अमीर लड़के कि हैं जो स्वेच्छाधारी रास्ते पर चला गया।वह यूपी के बुलंदशहर जिले में दुजाना गांव के एक समृद्ध मकान मालिक छज्जुराम का बेटा था।सुंदर का लालन-पालन लाड़ प्यार से हुआ था,वह एक शर्मीली बच्चा था। उसकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में ही हुई थी जहां से वह पड़ोस के हाई स्कूल गए थे। उसके बाद वह गाजियाबाद महानगर में एक कॉलेज में दाखिल हो गए।
सुंदर में भयानकता उभरने के बारे में दो मत हैं। रोमांटिकवादियों ने उन्हें "अच्छे, शर्मीले, सुन्दर युवक" के रूप में चित्रित किया है, जो अपने भाई के साथ कथित तौर पर हुए अन्याय और बहन के साथ छेड़छाड़ के कारण बागी बन गए थे।
लेकिन उसने अपने प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) के पूरा होने के कुछ महीनों के भीतर ही इस्तीफा दे दिया। अपने सेना प्रशिक्षण का लाभ उठाते हुए सुंदर ने एक छोटा सा गिरोह बना लिया और लगभग 12 साल पहले अपना अभियान शुरू किया। ये भी बताया जाता है कि फायरिंग के दौरान वो एक खाली खेत मे घुसे जिसमे पानी चल रहा था। रात का समय था तो किसी पुलिस वाले कि खेत मे जाने की हिम्मत नही हुई और उस खेत मे बिजली का तार डाला गया था। फिर फायरिंग की गई थी।
कहा जाता है कि जिस साथी विकल ने गरीबो के मसीहा सुंदर गुर्जर के साथ गद्दारी की थी अंत समय मे उसके शरीर मे कीड़े पड़ गए थे और वह बड़ी दर्दनाक मौत से मरा था। उसे गरीबो की हाय लगी थी।
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