इस मीनार में भाई बहन नहीं जा सकते एक साथ, लेकिन क्यों ?
देश की ऊंची मीनारों में से एक ‘ लंका मीनार’ उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले के कालपी में स्थित है। इसे यहां के प्रसिद्ध वकील बाबू मथुरा प्रसाद निगम ‘लंकेश’ ने एक सदी पूर्व बनवाई थी। इसकी ऊंचाई 225 फुट है, कौड़िया चूना की सुर्खी से निर्मित मीनार और मूर्तियां बुंदेली लोक कला का सुंदर उदाहरण हैं।
देश की ऊंची मीनारों में से एक ‘ लंका मीनार’ उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले के कालपी में स्थित है। इसे यहां के प्रसिद्ध वकील बाबू मथुरा प्रसाद निगम ‘लंकेश’ ने एक सदी पूर्व बनवाई थी। इसकी ऊंचाई 225 फुट है, कौड़िया चूना की सुर्खी से निर्मित मीनार और मूर्तियां बुंदेली लोक कला का सुंदर उदाहरण हैं।
लंका मीनार एक विशाल परिसर में ऊंची पीठिका पर स्थित है। इस परिसर को ‘लंका कहा जाता है। इसके प्रवेश द्वार पर दायीं ओर नाग और बायीं ओर नागिन है, जिसकी लंबाई 66 फुट है। इसके शिखर पर 15 फुट ऊंची ब्रह्मा की मूर्ति है। प्रवेश द्वार के बायीं ओर चित्रगुप्त, शनिदेव एवं भगवान शिव का मंदिर है जो दक्षिण भारतीय वास्तुशैली पर बना है। बायीं ओर लंका मीनार है, जिसके करीब कुंभकर्ण की 60 फुट लंबी लेटी हुई और मेघनाद की बैठी हुई मुद्रा में प्रतिमाएं हैं। इसके अलावा, मंदिर में 27 नक्षत्रों, बारह अवतारों, चार युगों तथा सभी ग्रहों की संगमरमर की प्रतिमाएं हैं।
लगभग 80 फुट ऊंची रावण प्रतिमा विभिन्न तरह के अस्त्र-शस्त्रों युक्त है। लंका मीनार तथा प्राचीर पर राक्षस-राक्षसियों की अनेक मूर्तियां हैं। लंका के निकट ही अयोध्यापुरी, जनकपुरी, मथुरापुरी तथा ‘पाताल-लंका’ (पलंका) है। इसके निर्माण में 20 साल लगे। इसका निर्माण 1875 में शुरू हुआ और 1895 में पूरा हुआ।
इस मीनार की एक ऐसी भी मान्यता है जिसके अंतर्गत यहां भाई-बहन एक साथ नहीं जा सकते। इसका कारण ये है कि लंका मीनार की नीचे से ऊपर तक की चढ़ाई में सात परिक्रमाएं करनी होती हैं, जो भाई-बहन नहीं कर सकते। ये फेरे केवल पति-पत्नी द्वारा मान्य माने गए हैं। इसीलिए भाई-बहन का एक साथ यहां जाना निषेध है।
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