धीरे धीरे कितने नाजायज खर्चे से जुड़ते गए है हम.

10-15 साल पहले जिस घर का खर्च 8 हज़ार में आसानी से चल जाता था, आज उसी का बजट 40 हजार को पार कर गया है! तो उसमें सारा दोष महंगाई का ही नहीं है, कुछ हमारी बदलती सोच भी है!

Oct 22, 2020 - 06:35
Jul 7, 2021 - 09:17
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धीरे धीरे कितने नाजायज खर्चे से जुड़ते गए है हम.

धीरे धीरे कितने नाजायज खर्चे से जुड़ते गए है हम.
● टॉयलेट धोने का हार्पिक अलग,
● बाथरूम धोने का अलग.
● टॉयलेट की बदबू दूर करने के लिए खुशबू छोड़ने वाली टिकिया भी जरुरी है.
● कपडे हाथ से धो रहे हो तो अलग वाॅशिंग पाउडर
और
मशीन से धो रहे हो तो खास तरह का पाउडर...
(नहीं तो तुम्हारी 20000 की मशीन बकेट से ज्यादा कुछ नहीं.)
● और हाँ, कॉलर का मैल हटाने का व्हॅनिश तो घर में होगा ही,
● हाथ धोने के लिए
नहाने वाला साबुन तो दूर की बात,
● लिक्विड ही यूज करो,
साबुन से कीटाणु 'ट्रांसफर' होते है
(ये तो वो ही बात हो गई कि कीड़े मारनेवाली दवा में कीड़े पड़ गए)
● बाल धोने के लिए शैम्पू ही पर्याप्त नहीं,
● कंडीशनर भी जरुरी है,
● फिर बॉडी लोशन,
● फेस वाॅश,
● डियोड्रेंट,
● हेयर जेल,
● सनस्क्रीन क्रीम,
● स्क्रब,
● 'गोरा' बनाने वाली क्रीम
लेना अनिवार्य है ही.
●और हाँ दूध
( जो खुद शक्तिवर्धक है)
की शक्ति बढाने के लिए हॉर्लिक्स मिलाना तो भूले नहीं न आप...
● मुन्ने का हॉर्लिक्स अलग,
● मुन्ने की मम्मी का अलग,
● और मुन्ने के पापा का डिफरेंट.
● साँस की बदबू दूर करने के लिये ब्रश करना ही पर्याप्त नहीं,
माउथ वाश से कुल्ले करना भी जरुरी है....
तो श्रीमान जी...
10-15 साल पहले जिस घर का खर्च 8 हज़ार में आसानी से चल जाता था,
आज उसी का बजट 40 हजार को पार कर गया है!
तो उसमें सारा दोष महंगाई का ही नहीं है,
कुछ हमारी बदलती सोच भी है!
और दिनरात टीव्ही पर दिखाये जानवाले विज्ञापनों का परिणाम है!
सोचो..
सीमित साधनों के साथ स्वदेशी जीवन शैली अपनायें, देश का पैसा बचाएं। 
जितना हो सके साधारण जीवन शैली अपनाये ! 
जय हिंद.....
अधिक जानकारी के लिये राजीव दिक्षित जी को जरुर सुने

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Er Amreesh Kumar Aarya Amreesh spent about 8 years in the IT Industry, during which time, he held a variety of roles & responsibilities, both in Planning & implementation and also in many development/supply-side functions, as well as the business-side functions.