इस महीने रिलीज हुए कुछ धमाकेदार मूवी, आइये जानते है।
कोरोना के बाद कुछ बड़ी परदे किउ मूवी देखना मन सबका था, तो इसकी सुरवात भी अच्छी रही जिसमे सबसे बड़ा नाम है spiderman मूवी का जो लास्ट वीक ही रिलीज़ हुई है।इसी बीच कुछ और नाम भी है जिनके बारे में हम आपको बातएंगे की ये मूवी कैसी है और क्रिटिक की इस मूवी को लेकर क्या गए है।
स्पाइडरमैन- नो वे होम - रेटिंग : 4.5/5
डायरेक्टर : जॉन वाट्स
श्रेणी:English, Sci-Fi, Action, Adventure
अवधि:2 Hrs 28 Min
दुनिया को पता चल चुका है कि पीटर पार्कर (टॉम हॉलैंड) ही स्पाइडर-मैन हैं। अब उसे इस कारण हो रही परेशानी से उबरना है। पीटर मदद के लिए डॉक्टर स्ट्रेंज (बेनेडिक्ट कम्बरबैच) की मदद लेता है। डॉक्टर स्ट्रेंज अपने जादू से इस परेशानी को दूर तो कर देते हैं, लेकिन इस कारण कई नई समस्याएं सामने आ जाती हैं, जो अब ज्यादा खतरनाक और ज्यादा बड़ी हैं।स्पइडर-मैन की पिछली फिल्म 'फार फ्रॉम होम' में जहां से पीटर पार्क की जिंदगी बदली थी, 'नो वे होम' वहीं से आगे बढ़ती है और समझाती है कि पीटर पार्कर के सच का दुनिया से छुपे रहना क्यों जरूरी है। यह न सिर्फ उसके लिए, बल्कि उसके दोस्तों और हर उस इंसान के लिए महत्वपूर्ण है, जिनसे पीटर प्यार करता है। पीटर को मदद चाहिए, वह डॉक्टर स्ट्रेंज के पास पहुंचना है। चाहता है कि कुछ ऐसा हो कि सब पहले की तरह हो जाए। जादूगर डॉक्टर स्ट्रेंज अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर दुनिया को स्पाइडर-मैन की पहचान भूलने के लिए मजबूर करते हैं, लेकिन पीटर के लिए यह सौदा भारी पड़ता है।वैसे, यह पहला मौका नहीं है जब मार्वल के मल्टीवर्स में हमने स्पाइडर-मैन को देखा है। इससे पहले 'इन टू द स्पाइडर-वर्स' (2018) में हमने कई चौंकाने वाली चीजें देखीं। लेकिन दिलचस्प है कि इस बार यह उन सब से बड़ा है। MCU यानी मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स में यह स्पाइडर-मैन की तीसरी फिल्म है जो ऐक्शन तो दिखाती ही है, लेकिन उससे दूर जाकर दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने की भी कोशिश करती है। डायरेक्टर जॉन वाट्स ने इसे पर्दे पर अचानक नहीं किया है। फिल्म के बड़े कैनवस पर वह समय-समय पर हालात के अनुसार बिल्कुल माप-तौल कर ऐसा करते हैं। इस कारण फिल्म की लंबाई भी बढ़ जाती है। लेकिन डायरेक्टर जॉन वाट्स को इससे तकलीफ नहीं है। हालांकि, कुछ ऐसे सीन जरूर हैं, जो दर्शकों को जोड़ने में नाकामयाब होते हैं, लेकिन अधिकतर सीन्स में वह ऑडियंस संग इमोशनल कनेक्ट बनाने में सफल रहे हैं।
द मेट्रिक्स रेसरेक्शन्स - रेटिंग : 3.0/5
डायरेक्टर : लाना वाचोवस्की
श्रेणी:English, Sci-Fi, Action
अवधि:2 Hrs 28 Min
'मेट्रिक्स फ्रेंचाइजी' की यह चौथी फिल्म करीब दो दशक बाद रिलीज हुई है। फिल्म की कहानी न सिर्फ दमदार है, बल्कि आज के दौर के हिसाब से रेलेवेंट भी।सिनेमा की दुनिया के दीवानों के लिए यह हफ्ता जबरदस्त है। ऐसा इसलिए कि जहां 'स्पाइडर-मैन' में हमें तीनों स्पाइडर-मैन का रीयूनियन देखने को मिला है, वहीं अब 'मेट्रिक्स' को एक बार फिर से पर्दे पर लौटते हुए देखना रोमांचक है। लेदर जैकेट्स, काला चश्मा, मोटरसाइकिल बूट्स, बाइक्स... सबकुछ पर्दे पर लौट आया है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि सिनेमाघर पहुंचते ही आप नॉस्टैल्जिक हो जाएंगे। पिछली बार ऐसा तब हुआ था, जब दो साल पहले 'टर्मिनेटर' सीरीज में लिंडा हैमिल्टन की वापसी हुई थी। अब जाहिर तौर पर सवाल उठता है कि क्या 'मेट्रिक्स रेसरेक्शन्स' का इंतजार वाजिब है? जो लोग नहीं जानते, उन्हें बता दें कि 'स्क्विड गेम' के रेड लाइट, ग्रीन लाइट से पहले पर्दे पर दो कैप्सूल ने तहलका मचाया था। नीले रंग की और लाल रंग की। हमारी जिंदगी हमारे फैसलों पर निर्भर करती है। फिल्म इसी की बानगी है। 20 साल से अधिक वक्त बीत चुका है। डायरेक्टर लाना वाचोव्स्की ने इंसान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बीच लड़ाई को दिखाया। असल और नकली दुनिया की उलझन से रूबरू करवाया। नियो (कियानू रीव्स) के जरिए हमने पर्दे पर जो कहानी देखी, उसने हमें खुद के अस्तित्व पर सवाल उठाने को मजबूर कर दिया।
आज दौर बदल गया है। हम पहले ही सुपर इंटेलिजेंट मशीनों के युग में हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब घर-घर में है। जाहिर है ऐसे में 'मेट्रिक्स 4' की कहानी और अधिक प्रासंगिक हो जाती है। लाना वाचोव्स्की ने थॉमस या नियो को एक बार फिर एक रोमांचक यात्रा पर भेजा है। एक ऐसी दुनिा जहां, खुद को पाने के लिए उसे वास्तविकता से दूर जाना पड़ता है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि वाचोवस्की का दिमाग ही ऐसी जटिल बुन सकता है और उसे पर्दे पर रोमांच के साथ उतार सकता है।
अतरंगी रे - रेटिंग : 3.5/5
डायरेक्टर : आनंद एल राय
श्रेणी:Hindi, Romance, Drama
अवधि:2 Hrs 30 Min
लव ट्राएंगल बनाने में निर्देशक आनंद एल राय को महारत हासिल है। फिर वो 'तनु वेड्स मनु' सीरीज हो या 'रांझणा'। उनकी नई पेशकश 'अतरंगी रे' भी एक नजर में ऐसी ही एक लव ट्राएंगल लगती है।कहानी में बिहार की रिंकू सूर्यवंशी (सारा अली खान) को जादूगर सज्जाद अली (अक्षय कुमार) से प्यार है। इस प्यार की खातिर वह कुछ बीस-इक्कीस बार घर से भाग चुकी है, लेकिन हर बार पकड़ी गई। नानी (सीमा बिस्वास) से चप्पलों से पिटी भी। इसीलिए बदनामी से बचने के लिए नानी दो दिन के भीतर किसी भी दो पैरों वाले आदमी को पकड़कर उसकी शादी कराकर दफा कर देना चाहती है। रिंकू के घरवाले करते भी यही हैं। बिहार आए मेडिकल स्टूडेंट्स में से एक विशू (धनुष) को पकड़कर जबरदस्ती दोनों का ब्याह करा देते हैं, जबकि विशू की कुछ दिनों बाद ही सगाई तय होती है। यानी ये शादी दोनों को ही नहीं चाहिए। ऐसे में तय होता है कि दिल्ली पहुंचकर दोनों अपने-अपने रास्ते चले जाएंगे। लेकिन इश्क में जो सोचो वो होता कहां है। विशू को रिंकू से प्यार हो जाता है, लेकिन रिंकू तो सज्जाद के प्यार में पागल है।लगती है न, एक आम सी प्रेम कहानी, पर इसी मोड़ पर ऐसा हैरतअंगेज खुलासा होता है कि विशू और उसके दोस्त मधुसूदन (आशीष वर्मा) के साथ-साथ दर्शक भी चौंक जाते हैं। कहानी यहां ऐसा भावुक मोड़ लेती है, जिसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। ये राज आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगा।असल में, लेखक हिमांशु शर्मा और आनंद एल. राय ने इस बार ऐसा दिल छू लेने वाला विषय उठाया है, जिस पर बॉलिवुड में गिनती की ही फिल्में बनी हैं। ये फिल्म आज के समय में बेहद जरूरी मेंटल हेल्थ को लेकर भी अहम संदेश देती है। इसे देखते हुए हॉलिवुड की 'द वॉव', 'फिफ्टी फर्स्ट डेट्स' या हिंदी की 'सदमा' याद आ सकती है। कहानी उत्तर में बिहार से लेकर दक्षिण में चेन्नै तक जाती है, जिसमें बीच में दिल्ली में अपनी मंजिल तक पहुंचती है, यानी पूरे भारत का रंग आपको दिखेगा। ऐसे ही, आनंद एल. राय ने अपने ऐक्टर्स को भी एक नए अंदाज में पेश किया है।
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